Natasha

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तमस (उपन्यास) : भीष्म साहनी

"क्यों?" वयोवृद्ध बोला, “आप सारे शहर में पाकिस्तान के नारे लगाते हैं, कोई आपको रोकता है, और हम तो सिर्फ हुब्बुलवतनी के गीत गा रहे हैं।"

इस पर रूमी टोपीवाला कुछ पिघल-सा गया, पर बोला, “आप लोग जाना चाहते हैं तो जाइए, लेकिन हम इन कुत्तों को तो अपने मुहल्ले में नहीं घुसने देंगे।" और उसने फिर दोनों बाँह फैला दी मानो गली का रास्ता फिर से रोक रहा हो।

तभी नत्थू ने देखा रूमी टोपीवाले से थोड़ा हटकर पीछे की ओर मुरादअली खड़ा था। उसे देखते ही नत्थू का सारा शरीर झनझना उठा। यह कहाँ से पहुँच गया है? नत्थू दीवार के साथ-साथ सरकता हुआ गान-मंडली के पीछे हो गया। मुरादअली ने कहीं देख तो नहीं लिया? गान-मंडली के सदस्यों के पीछे खड़ा वह सचमुच छिप-सा गया था। यहाँ से उसे मुरादअली भी नज़र नहीं आ रहा था। कुछ देर स्तब्ध-सा खड़ा रहने के बाद उसने सिर टेढ़ा करके देखा। मुरादअली वहीं पर खड़ा था और दूर से बहस में उलझे लोगों की बातें सुन रहा था।

नत्थू धीरे-धीरे पीछे की ओर सरकने लगा। जब तक ये लोग बहस में उलझे रहेंगे, मुरादअली भी शायद वहीं बुत बना खड़ा रहेगा। यही मौका है यहाँ से निकल भागने का। अगर मुरादअली ने देख लिया है तो वह ज़रूर डेरे पर पहुँच जाएगा और जवाबतलबी करेगा। कुछ दूर तक सरकते रहने पर नत्थू ने सहसा पीठ मोड़ी और तेज़ चलने लगा और शीघ्र ही गली का मोड़ मुड़कर आँखों से ओझल हो गया और सरपट भागने लगा।

तमस (उपन्यास) : चार
टीले के ऊपर पहुँचकर दोनों ने अपने घोड़े रोक लिये। सामने दूर तक चौड़ी घाटी फैली थी जो पहाड़ों के दामन तक चली गई थी। लगता दूर क्षितिज पर सतरंगी धूल उड़ रही है। विशाल मैदान, कहीं-कहीं छोटी-छोटी पहाड़ियाँ और उन पर स्वच्छ नीला आकाश जिसकी पारदर्शी ऊँचाइयों में चीलें तैर रही थीं। बाईं ओर ऊँचा पहाड़ था जिसे नीली आभा ढंके हुए थी। पहाड़ की ऊँचाई पश्चिम की ओर ढलते-ढलते इतनी कम हो गई थी कि मैदानों को छूने लगी थी। दाईं ओर दूरियों के धुंधलके में लाली-मायल की पहाड़ियों की धूमिल-सी आकृतियाँ नज़र आ रही थीं।

सूर्योदय के समय इस दृश्य को दिखा पाने के लिए ही रिचर्ड अपनी पत्नी को ले आया था। रिचर्ड ने मुड़कर लीज़ा के चेहरे की ओर देखा। इस दृश्य को देखकर उस पर कैसा असर हुआ होगा, वह देखना चाहता था। इस मनोरम दृश्य को वह इस ढंग से लीज़ा के सामने पेश करना चाहता था मानो इतने दिन तक इसे एक तोहफ़े की तरह सँभालकर रखे रहा हो।

प्रातः की सुहावनी हवा में लीज़ा के सुनहरे बाल हौले-हौले उड़ रहे थे। उसकी नीली आँखों में एक विशेष प्रकार की स्वच्छता और चमक थी। केवल आँखों के नीचे हल्के-हल्के गूमड़ बनने लगे थे, जो ऊब के कारण, अधिक बीयर पीने तथा देर तक सोते रहने के कारण पैदा हो गए थे।


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